आप, मैं, लड़की और मेरा देश

राजसमंद जिले का पिपलांत्री गांव न सिर्फ बेटियों को बचाने, बल्कि उनके बहाने चारों तरफ हरियाली से लबरेज माहौल पैदा करने की एक कामयाब मिसाल बन कर खड़ा है। 


पिपलांत्री में एक बेटी जन्म लेती है तो गांव के लोग एक सौ ग्यारह पेड़ लगाते हैं और उनके फलने-फूलने से लेकर देखरेख तक का पूरा इंतजाम करते हैं।

इस तरह बेटियों के प्रति यह स्वीकार-भाव पर्यावरण संरक्षण के अभियान का भी रूप ले चुका है। 

नतीजतन पिछले छह साल में इस इलाके में ढाई लाख से ज्यादा पेड़ और उन्हें दीमक से बचाने के लिए इतनी ही संख्या में एलोवेरा यानी ग्वारपाठा के पेड़ लगाए जा चुके हैं।
दोस्तों मै सोचता हूँ की मेरे करने से क्या होगा? लेकिन मै गलत हूँ.
एक -एक आदमी ने इतिहास लिखा है और अब मैं अपनी गलती ठीक करने जा रहा हूँ. मेरे से जितना होगा मै उतना करूँगा। इस देश को हमारी जरुरत हैं. स्वामी विवेकानन्द कहते थे "उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य् प्राप्त न हो जाए".  एक औरत ही आदमी को जनम देती हैं और हम उसी को मार डालते हैं, उसी पर बंदिशें लगा देते हैं, सारे नियम उसी पर लागू कर देते हैं. मेरी आपसे हाथ जोड़कर विनती हैं की इसे बदलने में हमारी मदद करें, जितना हो सके इसे शेयर करें।  

No comments: