जीवन के रास्ते पर तुम्हे
अकेले ही चलना पड़ेगा. किसी के भी भरोसे मत रहो, सिर्फ अपने भरोसे रहो. एक मंत्र
याद कर लो ‘एकला चलो रे’. चाहें कैसी भी परिस्थिति आये. सिर्फ उसके
भरोसे काम करों, जो पूछना है उससे पूछो जो तुम्हारे अन्दर हैं. कोई किताब, कोई
गुरु, कोई दूसरा तुम्हे ये नहीं बता सकता की तुम क्या चाहते हो सिवाय उसके जो
तुम्हारे अन्दर हैं. किसी का सहारा लेने की सोचो भी मत. हा किसी का सहारा बन सको
तो ठीक हैं.
“It’s never too late to do the right things” “आशावादी होने में क्या कष्ट है? रो तो कभी भी सकते हैं।” - लूसिमार सांतोस द लीमा
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